मां...!!!
...................शिशिर कृष्ण शर्मा
मां, ओ मां !!!
नैनों की, ज्योति सा ! सीपी में बंद मोती सा !!
सप्तसुरों की गीति सा ! जीवन की इक रीति सा !!
सीने से लिपटा हूं तेरे आंचल में सिमटा हूं मैं.....मां, ओ मां !!!
हिचकता सा, झिझकता सा ! ठहरता और ठिठकता सा !!
जब भी डगमगाया मैं ! चला औ’ ज्यौं लड़खड़ाया मैं !!
नग्नपग तू, राहें तप्त, तूने अंक भरा मुझे....मां, ओ मां !!!
संबल तू अवलंबन तू ! मातृशक्ति का वंदन तू !!
जीवनदायिनी शक्तिस्वरूपा ! ममतामयी तू वत्सलरूपा !!
सृष्टिकेन्द्र चरणों में तेरे शत-सहस्र नमन है मेरा.....मां, ओ मां !!!
मां,
ओ मां !!!
…………………………………………शिशिर कृष्ण शर्मा
padhte padhte man bheeng gaya shishir ji...
ReplyDeletesaadhuvaad !!!
Matri Vandana
ReplyDeleteबहोत सुन्दर कविता शिशिर जी !!
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